घर को कीटाणुओ से मुक्त रखना हैं तो लाइजोल प्रयोग करे,हाथो को रोज डेटोल हैण्डवाश से धोये,बिमारियो से बचना हैं तो लाइफबौय से नहाये,आरो का पानी भी शुद्ध नही होता उसके लिए भी फलाना आरो लगाये,टॉयलेट के लिए फिनाइल अच्छा नहीं हार्पिक यूज़ करे।धुप से बचने के लिए ये क्रीम, प्रदुषण से बचने के लिए वो क्रीम,बालो की रक्षा के लिए ये तेल, उन्हें खड़ा रखने के लिए...
sumit menaria
Posted on March 25th, 2015
चर्चा चल रही थी। वह बोला, बलात्कार, छेडछाड़ जैसी अधिकतर घटनाओ के लिए ये लड़कियां ही जिम्मेदार हैं। इनका ड्रेसिंग सेन्स तो देखो। इतने टाइट कपडे पहनती हैं, पूरा बदन यो का यो दीखता हैं। ऐसे में भावनाएँ भड़क ही जाती हैं । अब कोई कितना कण्ट्रोल रखे?मैंने उसे एक खींचकर थप्पड़ मार दिया।ये क्या किया तुमने?आपकी बातो से मेरी भावनाएं भड़क गयी। अब कितना कण्ट्...
sumit menaria
Posted on March 25th, 2015
हालात-ए-दफ्तर-ए-छोटा मुंह और बड़ी बातदफ्तर का पंखा आने वाली गर्मी की आहट देता हुआ एक नंबर की गति पर अपनी भूमिका मात्र अदा कर रहा हैं। मेज पर तीन चार अलग-अलग रंग की साड़ियां बिखरी पड़ी है जिन्हें हिमांशु जी समेट रहे हैं। कोने में चंद्रशेखर श्रीवास्तव जी ( जिन्हें इतना बड़ा नाम न लिख पाने की हमारी असमर्थता की वजह से आगे चन्द्र जी से संबोधित किया जाएगा...
sumit menaria
Posted on March 25th, 2015
मुझे यहाँ की यही बात सबसे अच्छी लगती हैं, यह हरियाली, यह खुली हवा, यह फूलो की खुशबू. पहले तो मैं यहाँ रोज़ आता था लेकिन फिर…सामने उसकी बड़ी सी फोटो लग चुकी थी, पहले तो लगा की किसी ने सम्मान में भेंट की होगी लेकिन फिर जब नीचे बड़े बड़े अक्षरों में फर्म का नाम लिखा देखा तो समझ में आया की यह तो एडवरटाइजिंग का एक तरीका मात्र हैं. सीढ़ियो पर पसरी धुल और पत्तियां ...
sumit menaria
Posted on July 31st, 2014
सड़के हैं, बनी हुई हैं और नयी बनाई जा रही हैं। टूटती हैं तो मरम्मत होती हैं और वापस बरसात में टूट जाती हैं। सडको को फर्क नहीं पड़ता की कौन उन पर चलता हैं, वो सबके लिए एक जैसी रहती हैं काली सी, डामर वाली या कुछेक खड्डो वाली। लेकिन उन पर चलने वालो को फर्क पड़ता हैं। जब उनकी अपनी सड़क हैं तो वे दुसरो की सड़क पर क्यों चले?उन्हें अच्छा लगता हैं जब कोई दूसरा उनकी स...
sumit menaria
Posted on July 31st, 2014
वह कपड़ो की दूकान में काम करता था। उसे एकपुतले से प्यार हो गया। इतना सुन्दर पुतला!किसी इंसान का तो ऐसा होना संभव ही नहीं हैं।"मैं इस पुतले से ही शादी करूँगा।" उसने कहा।"मैं इसके साथ ही पूरी ज़िन्दगी बिताऊंगा।""यह संभव नहीं हैं।" एक समझदार ने समझाया।"तुम एक पुतले के साथ नहीं रह सकते, उसके साथपूरी ज़िन्दगी नहीं बिता सकते।""ऐसा क्यों?"उसने पूछा।"क्योंकि ...
sumit menaria
Posted on July 30th, 2014
दोस्त के यहाँ पर नोट्स लेने के लिए गया था. दोस्त अन्दर नोट्स लेने के लिए गया, मैं बाहर खड़ा खड़ा इंतजार कर रहा था, तभी उसके पिताजी हाथ में अख़बार लिए आये. मुझे घूरते हुए देखने लगे. मैंने मुस्कुराकर अभिवादन किया."तुम हिमांशु हो न?" उन्होने पूछा."हाँ…" मैंने जवाब दिया."वो छोटा मुंह वाला पेज तुम ही चलाते हो?""जी अंकल" मैंने आश्चर्य, डर और ख़ुशी से मिलाजुला जवाब दि...
sumit menaria
Posted on July 29th, 2014
मूर्तिवह कपड़ो की दूकान में काम करता था। उसे एक पुतले से प्यार हो गया। इतना सुन्दर पुतला! किसी इंसान का तो ऐसा होना संभव ही नहीं हैं। "मैं इस पुतले से ही शादी करूँगा।" उसने कहा। "मैं इसके साथ ही पूरी ज़िन्दगी बिताऊंगा।" "यह संभव नहीं हैं।" एक समझदार ने समझाया। "तुम एक पुतले के साथ नहीं रह सकते, उसके साथ पूरी ज़िन्दगी नहीं बिता सकते।""ऐसा क्यों?"उसने पूछा।"...
sumit menaria
Posted on June 30th, 2014
फेसबुक भी कमाल की चीज हैं बंदा भले ही कच्छे-बनियान में लेटा हो "Hii Whats up..." ऐसे भेजेगा जैसे इससे बड़ा कूल ड्यूड कोई पैदा ही नहीं हुआ हो...और सामने वाली भले ही कल शाम की रोटी की बीड़ी बनाकर चाय में डुबो डुबो कर खा रही होगी रिप्लाई करेगी "having breakfast...". जो कभी अपने घर से आधी रोटी देने की मेहनत भी नहीं कर सकता वो "गो हत्या रोकनी होगी- कब जागेगा हिन्दू" वाली पोस्ट धडले से पोस्ट और ë...
sumit menaria
Posted on April 27th, 2014
मुझे यहाँ की यही बात सबसे अच्छी लगती हैं, यह हरियाली, यह खुली हवा, यह फूलो की खुशबू. पहले तो मैं यहाँ रोज़ आता था लेकिन फिर…मुझे यहाँ की यही बात सबसे अच्छी लगती हैं, यह हरियाली, यह खुली हवा, यह फूलो की खुशबू. पहले तो मैं यहाँ रोज़ आता था लेकिन फिर…सामने उसकी बड़ी सी फोटो लग चुकी थी, पहले तो लगा की किसी ने सम्मान में भेंट की होगी लेकिन फिर जब नीचे बड़े बड़े...
sumit menaria
Posted on April 26th, 2014