मूर्ति

मूर्ति
वह कपड़ो की दूकान में काम करता था। उसे एक पुतले से प्यार हो गया। इतना सुन्दर पुतला! किसी इंसान का तो ऐसा होना संभव ही नहीं हैं।
"मैं इस पुतले से ही शादी करूँगा।" उसने कहा।
"मैं इसके साथ ही पूरी ज़िन्दगी बिताऊंगा।"
"यह संभव नहीं हैं।" एक समझदार ने समझाया।
"तुम एक पुतले के साथ नहीं रह सकते, उसके साथ पूरी ज़िन्दगी नहीं बिता सकते।"
"ऐसा क्यों?"उसने पूछा।
"क्योंकि पुतले तुम्हारी भावनाएं नहीं समझेंगे, वे तुम्हारा दर्द नहीं समझेंगे, तुम उनके साथ हंस नहीं सकते, रो नहीं सकते।"
"तो फिर तुमने मंदिरों में इतने पुतले क्यों भर रखे हैं?" उसने सवाल किया।

-सुमित के. मेनारिया