टेडीबियर

टेडीबियर
बिटिया सुबह से  जिद पकड़ कर बैठी  हैं. नया टेडीबियर लाकर दो. सुबह से घर में धमाल मचाय रखा हैं.
"का करेगी नए टेडीबियर  का इत्ते सारे खिलौने धरे तो हैं?" हम गिरियाये.
"नहीं हमें नया टेडीबियर  चाहिए"   बिटिया आंसुओ की गंगा जमुना एक करते सबुडाते  हुए बोली.
"अभी दुई महीने पहले वो गाने वाला गुड्डा लाये थे का  हुआ उसका अब घर के कोनो में रवड़ता  फिरता हैं."
"वो तो खुद ही अलमारी से गिर के टूट गया" बिटिया ने आशाभरी नज़रो से सफाई पेश की.
"खुद ही टूट गया! तो फिर वो  ही काठ का  गुड्डा ले  लो, 5-10 साल उसका कुछ नहीं बिगड़ता हैं."
"नही उसकी तो आवाज ही नहीं निकलती हैं." बिटिया ठुनकते हुए बोली.
"नहीं बोलता तभी तो इत्ता लम्बा चलता हैं  तुम्हारा  बोलने वाला तो खुद ही अलमारी से गिर गया." हम कटाक्ष किये.
"नहीं हमें टेडीबियर चाहिए"  बिटिया आडवानी सुर में  आ गयी.
"अजी दिला भी दो, बच्ची हैं खेल लेगी" मेहरारू थर्ड फ्रंट बनते हुए बोली.
"का दिला दो,  इसे कुछ  पता भी पड़ता हैं और ये टेडीबियर कब से बोलने लग गए?"
"नहीं ये बोलता हैं पड़ोस वाले गुड्डू  के  पास हैं  बहुत  बोलता हैं" बिटिया ने जिद पकड़ ली.

अब का करे बिटिया हैं,  जिद  हैं,   टेडीबियर तो दिलाना ही पड़ेगा, वरना एक टेडीबियर  चलता ही कित्ता हैं ज्यादा से ज्यादा पांच साल…