सीए डे

कल डॉक्टर्स डे भी था और सीए डे भी...लोग पूछ रहे हैं कि  डॉक्टर्स के ऊपर  इतने जोक बनायें गए तो  सीए के ऊपर क्यों नहीं? तो भाइयों जो खुद एक जोक हो उसके ऊपर भला कोई क्या जोक बनाएगा? नहीं भाई उनकी बात नहीं कर रहा हूँ जो पास हो गए हैं, क्योंकि चार बार डेटोल से हाथ धोने के बाद हाथ पर जितने प्रतिशत कीटाणु बचते हैं उतने तो बच्चे सीए में पास होते हैं बाकि सब तो बिना डेटोल के ही धूल जाते।

सीए की कहानी शुरू होती हैं एक मासूम बच्चे द्वारा सीपीटी का फॉर्म भरने से। दरअसल सीपीटी सीए का लोलीपोप होता हैं जिसके द्वारा भोले भाले मासूम बच्चों को इस जेल में बुलाया हैं और इसमें सहयोगी होते हैं वो दूर के ताऊ, चाचा, काका या मामा जिनके दूर का कोई भतीजा फर्स्ट एटेम्पट में सीए बन गया होता हैं। वो हमारे सामने हाई सैलरी और रेप्यूटटेड कोर्स का पेंडुलम घुमाते हैं और हम बिचारे भोले-भले कबूतर जाल में फंस जाते हैं। अमूमन लड़के सीपीटी में पहले प्रयास में पास हो ही जाते हैं और जो नहीं हो पाते उन्हें मेरी सीधी सलाह हैं, भाग जाओ बे अभी भी मौका हैं।
सीपीटी पास होने के बाद बन्दा नौ माह की प्रसव पीड़ा मतलब की आईपीसीसी से गुजरता हैं। एक बार में डिलिवरी हो जाए तो ठीक वरना वापस छः महीने की पीड़ा (हां भाई दूसरी बार तीन महीने का कन्सेशन मिलता हैं।) आईपीसीसी पास होते होते स्टूडेंट एटेम्पट नाम के लट्ठ से वाकिफ हो ही जाता हैं और न भी हो तब भी फाइनल तो हैं ही।
जब बच्चा हो जाए(आईपीसीसी पास) तो फिर आता हैं तीन साल का मजदूरी काल जिसे सभ्य लोग आर्टिकलशिप के नाम से जानते हैं। आर्टिकलशिप वास्तव में राष्ट्रीय मुफ़्त मजदुर योजना का एक हिस्सा हैं जिसके तहत 750 रु. प्रतिमाह में मजदुर सप्लाई किये जाते हैं (हां भाई सही सुना 'प्रतिमाह'...यहीं होती हैं एक अधपके सीए की रेपुटेशन और हाई सैलरी!) और यह भी कई बार तो नही मिल पाती है। इस तीन साल के नरककाल में एक सीए स्टूडेंट के साथ क्या क्या होता हैं, यह आप किसी सीए स्टूडेंट से ही पूछ ले तो बेहतर हैं।
इन तीन सालो में जब हमारा प्रिंसिपल हमें पूरी तरह से निचोड़ चूका होता हैं तब फिर इंस्टिट्यूट की बारी आती हैं। क्योंकि अब हमें 'फाइनल' नाम के महापड़ाव से गुजरना होता हैं। कहने को तो यह फाइनल हैं लेकिन यह फाइनल कब फाइनल होता हैं यह भगवान भी नहीं जानता हैं। बन्दा एटेम्पट पर एटेम्पट दिए जाता हैं, इस उम्मीद में की इंस्टिट्यूट कभी कभी न कभी तो पास करेगा।
तो यह होता हैं एक सीए बनने की जुझारू प्रक्रिया...जिसके बाद कोई सीए बनता हैं। अब भला ऐसे व्यक्ति पर कोई कैसे जोक बना सकता हैं?

(सम्मानित पेशे और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स से अग्रीम क्षमा सहित)