रोटियां

रोटियां
रोटियाँ एक जैसी होती हैं, सब उसी आटे से बनी हुई सब एक हाथ से बनी हुई. उनमे कभी फर्क नहीं होता हैं. सब चपटी, सब गोल सब का एक जैसा स्वाद.
हम सब एक साथ उठते हैं, बैठते हैं, हँसते हैं रोते हैं. हम ऑफिस में एक साथ लंच खाते हैं, एक ही कूलर से पानी पीते हैं, ट्रेफिक सिग्नल पर सब एक साथ खड़े रहते हैं. हम उनकी शादियों में जाते हैं और वो हमारी, हम उनके त्यौहार मनाते हैं और वो हमारे. तब हम नहीं पूछते की तुम्हारी जात कौनसी हैं, तुम्हारा धर्म कौनसा हैं, ST हो, SC हो, OBC हो, हिन्दु हो मुस्लिम हो,  हम नहीं पूछते.

लेकिन ऐसे तो काम नही चलने वाला था. आखिर उन्हें भी तो अपना ढाबा चलाना था. तो उन्होंने अंतर किया, कुछ रोटियां जलाई गई, कुछ को कच्चा रखा गया, कुछ पर ज्यादा घी डाला गया, कुछ पर कम सब को अलग अलग किया गया.        नेताओ ने पहले धर्म मे बाटा, फिर जात मे बाटा,  फिर अमीर गरीब को अलग किया, फिर  सर्वण को दलित से अलग किया.  हिन्दु को मुसलमान से,  जैन को हिन्दु से अलग किया.  दलितो मे जहर भरा , यह कहकर कि ब्राह्मणो ने उनका शोषण किया हैं. मजदुरो को कहा कि पूँजीपतियो ने उनका शोषण किया हैं  मुसलमानो को कहा कि हिन्दु तुम्हे खत्म कर डालेगे, अल्पसंख्यक रोटियाँ हो. हिन्दुओं को कहा कि तुम्हारा हिंदुत्व  खतरे में हैं रक्षा करो.  फिर आये ब्राह्मणो के पास कहा कि दलितो को तो आरक्षण मिला है तुम्हे क्या मिला ? (प्रश्न यह हैं की दिया किसने?)   और इसका असर क्या हुआ?  हम अपने देश को भूलकर अपने कर्तव्यो को भूलकर बस लडते जा रहै है बिना यह सोचे समझे कि क्या लडकर जो हासिल होगा वो तो हमारे  तब भी काम नही आने वाला क्योकि यह राजनीति करने वाले अच्छी तरह जानते है कि उनकी जरुरत जनता को जिस दिन से खत्म हुई वो बेरोजगार हो जायेगे फिर तो उनके पास ना तो कोई वजह होगी आपसे वोट मांगने कि ना झगडा करवाने का कोई तरिका होगा.  तो वो इसे खत्म करना ही नही चाहते बस जब तक चक्की मे से आटा पीस कर आ रहा है वो खा रहै है जिस दिन चक्की के दोनो पाटो मे से एक ने चलने से मना किया भूखे मर जायेगे.  आप खुद सोचिये कि आजादी के 60 से 70 साल बाद तक जो विकास नही हुआ उसका क्या कारण है?  क्यू हम आज भी पिछडे देशो मे गिने जाते है?  क्या हमारे पास योग्यता नही है? अगर हम भारतीय योग्य ना होते तो क्यू पूरी दुनिया मे सबसे ज्यादा डाक्टर इँजीनियर वैज्ञानिक शिक्षक बिजनस मैन हम भारतीय है? क्यू वो भारत मे रहना नही चाहते?  कारण है कि अगर यहा रहना है तो लडना पडता है अपनो से,  अपने सिस्टम से, भ्रष्टाचार से, धर्म से, आरक्षण से….
   समय ने सब कुछ तो दिखाया है हमको  फिर भी हम अपनी नींद  से जागने को तैयार नही हैं, जानते तो हैं मगर मानने को तैयार नहीं हैं किरोटियाँ जलाई जा रही हैं आग लगाई जा रही हैं और कहीं न कहीं हम खुद घी डाल रहे हैं.