मन्दिर

मन्दिर
कल्पना  कीजिये आपके पिताजी हर महीने आपको पॉकेट मनी के 10  लाख रूपये देते हैं जिनका की आपको कोई हिसाब नहीं रखना हैं आप अपनी मर्जी से उन्हें खर्च करना  हैं. शायद पिताजी इस भरोसे हैं की  माँ  खर्चो का ध्यान रखेगी लेकिन माँ भी केवल यह लिख देती हैं आपको कितने पैसे मिले हैं. तब आप इन पैसो का क्या करेंगे? वही जवाब दे जो सबसे पहले आपके मन में आया.
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भारत में मंदिरों का इतिहास बहुत पुराना हैं, इश्वर से भी पुराना और शायद भारत की सभ्यता को विश्व भर में प्रसिद्ध बनाने में मंदिरों का अतुलनीय योगदान हैं.  मंदिर क्यूँ बनाये गए थे यह एक  बहस का विषय हैं क्यूंकि इसका सरल जवाब यह होता हैं कि इश्वर के सामीप्य  के लिए लेकिन अगर इतिहास पर नजर डाले तो यह किसी सभ्यता एवं उसकी कला को संजोने के माध्यम हैं.  वैसे मंदिर का शाब्दिक अर्थ 'मन के अन्दर'  होता हैं.

आज के युग में मंदिरों की पहचान उनकी भव्यता और उनको मिलने वाले चंदे से होती हैं. इन दोनों के बिच सामानांतर सम्बन्ध होता हैं लेकिन ये दोनों मिलकर एक मंदिर को महत्वपूर्ण बना देते हैं. आइये एक नज़र डालते हैं भारत के कुछ भव्य मंदिरों और उनके चंदे के ऊपर-

तिरुपति बालाजी

भारत के धनी मंदिरों की लिस्ट में तिरुपति बालाजी शीर्ष पर हैं... भगवान का खजाना पूराने    जमाने के राजा-महराजाओं को भी मात देने वाला है... तिरुपति के खजाने में आठ टन  ज्वेलरी है... 650 करोड़ रुपए की वार्षिक आय के साथ तिरूपति बालाजी भारत में सबसे
अमीर देवता है... अलग-अलग बैंकों में मंदिर का 3000 किलो सोना जमा और मंदिर के पास  1000 करोड़ रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट हैं... 300 ईसवी के आसपास बने भगवान विष्णु के   वेंकटेश्वर अवतार के इस मंदिर में रोज करीब 50 हजार से एक लाख लोग आते हैं... साल के
कुछ खास दिनों विशेषकर नवरात्र के दिनों में तो यहां 20 लाख तक लोग हर दिन दर्शन
करने पहुंचते हैं... बड़ी संख्या में यहां सिर्फ श्रद्धालु ही नहीं आते,
बल्कि उनका चढ़ावा भी बहुत भारी-भरकम होता है... नवरात्र के दिनों में ही 12 से 15
करोड़ रुपए नकद और कई मन सोना चढ़ जाता है... बालाजी के मंदिर में इस समय लगभग
50,000 करोड़ रुपए की संपत्ति मौजूद है, जो भारत के कुल बजट का 50वां हिस्सा है...
तिरुपति के बालाजी दुनिया के सबसे धनी देवता हैं, जिनकी सालाना कमाई 600 करोड़ रुपए से
ज्यादा है.... यहां चढ़ावे को इकट्ठा करने और बोरियों में भरने के लिए
बाकायदा कर्मचारियों की फौज है... पैसों की गिनती के लिए एक दर्जन से ज्यादा लोग मौजूद
हैं और लगातार उनकी शिकायत बनी हुई है कि उन पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है...
किसी-किसी दिन तो ऐसा भी होता है कि तीन से चार करोड़ रुपए तक का चढ़ावा चढ़ जाए
और रुपये-पैसे गिनने वाले कर्मचारी काम के भारी बोझ से दब जाएं.... ये तो तब है, जब
बालाजी के मंदिर में आमतौर पर लोग छोटे नोट नहीं चढ़ाते... यहां सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात
और प्लेटिनम की ज्वेलरी तो चढ़ती ही है, सुविधा के लिए भक्त इनका बांड {bond}
भी खरीदकर चढ़ा सकते हैं... बालाजी के मंदिर में हर साल 350 किलोग्राम से
ज्यादा सोना और 500 किलोग्राम से ज्यादा चांदी चढ़ती है... ये स्थिति तब थी जब अंग्रेज
भारत आए थे… वे बालाजी मंदिर की शानो-शौकत और चढ़ावा देखकर दंग रह गए थे... कहते
हैं ईस्ट इंडिया कंपनी बड़े पैमाने पर बालाजी मंदिर से सोना - चांदी खरीदती थी... वर्ष
2008-09 का बालाजी मंदिर का बजट 1925 करोड़ था... इस मंदिर की देखरेख करने वाले
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट ने 1000 करोड़ रुपए की फिक्स डिपोजिट कर रखी है...
कुछ महीनों पहले कर्नाटक के पर्यटन मंत्री जनार्दन रेड्डी ने हीरा जडि़त 16 किलो सोने
का मुकुट भगवान बालाजी को चढ़ाया था... जिसकी घोषित कीमत 45 करोड़ रुपए थी...
दरअसल, येदयुरप्पा सरकार की नाक में दम करने वाले बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं ने खनन
कारोबार में 4,000 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था... उसी मुनाफे का 1 प्रतिशत इन्होंने
भगवान बालाजी को बतौर कमीशन अदा किया था, लेकिन आप यह न सोचें कि भगवान
वेंकटेश्वर या बालाजी को पहली बार इतना महंगा मुकुट किसी भक्त ने भेंट किया होगा...
वास्तव में बालाजी के मुकुटों के भंडार में यह 8वें नंबर पर ही आता है... इस तरह के उनके
पास पहले से ही करीब 15 मुकुट हैं... भारत के सबसे अमीर मंदिर तिरुपति के संरक्षकों ने
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास करोड़ों रुपए का सोना जमा किया है... इनसे मंदिर
को आर्थिक आय होगी.. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट के चेयरमैन जे सत्यनारायण ने
1,175 किलो सोना स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को सौपा पास भारत में सबसे ज्यादा सोना है और
उसने इसे तिजोरियों में रखने की बजाय बैंकों में रखना शुरू किया है... इससे उसे ब्याज
मिलता है... सन् 2011 में भी उसने 1,075 किलो सोना स्टेट बैंक ऑफ इडिया में
रखा था ... ट्रस्ट चाहता है कि सभी बैंक उसका सोना रखें..पुट्टापर्थी में सत्य साईं के
यजुमंदिर के ग्यारह प्राइवेट कमरों से 77 लाख रुपए कीमत के सोने चांदी और हीरे जवाहरात
मिले… इससे पहले भी सत्य साईं के कमरे से करीब चालीस करोड़ रुपए
की संपत्ति मिली थी… शिरडी स्थित साईं बाबा का मंदिर देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक
है... सरकारी जानकारी के मुताबिक इस प्रसिद्ध मंदिर के पास 32 करोड़ रुपए के अभूषण हैं
और ट्रस्ट ने 450 करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है...धनी मंदिरों की फेहरिस्त में इन
दिनों चरम लोकप्रियता की तरफ बढ़ रहे शिरडी का साई बाबा मंदिर भी शामिल है,
जिसकी दैनिक आय 60 लाख रुपए से ऊपर है और सालाना आय 210 करोड़ रुपए
की सीमा पार कर चुकी है... शिरडी साई बाबा सनातन ट्रस्ट द्धारा संचालित यह मंदिर
महाराष्ट्र का सबसे धनी मंदिर है, जिसकी कमाई लगातार बढ़ रही है.... मंदिर के प्रबंधकों के
मुताबिक 2009 के मुकाबले अब तक 68 करोड़ रुपए से
ज्यादा की सालाना बढ़ोतरी हो चुकी है... यहां भी बड़ी तेजी से चढ़ावे में सोने और हीरे के
मुकुटों का चलन बढ़ रहा है... चांदी के आभूषणों की तो बात ही कौन करे...
सिद्धिविनायक मंदिर
मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर, महाराष्ट्र राज्य में दूसरा और देश में तीसरे नंबर
का सबसे अमीर मंदिर हैं.   

लेकिन इतनी  बड़ी  राशि का कहाँ और  कैसे प्रयोग  करना हैं इस बारे में  कोई भी guideline नहीं हैं  यानि की कोई भी मंदिर या ट्रस्ट को नहीं पूछने वाला की यह पैसा कहाँ जाएगा और उस पर भी रोचक यह की सरकार इस राशी पर कोई टैक्स नहीं लेती हैं. क्योंकि मंदिरों को मिलने वाला समस्त चन्दा आयकर अधिनियम की धाराओ  में  करमुक्त हैं.  उल्टा मंदिरों को धार्मिक संस्थाओ के नाम पर अलग रियायते मिलती हैं .

महत्वपूर्ण यह हैं कि  हम दान देते क्यों हैं? 

-क्योंकि हम इश्वर को धन्यवाद कहना चाहते हैं?
माफ़ कीजियेगा लेकिन आपका उद्देश्य जरा सा भी पूरा नहीं हुआ. यह दान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में इश्वर के पास नहीं पहुचता  बशर्ते आप   मंदिर के ट्रस्ट या उसके पंडितो को इश्वर ना मानते हो.

-लेकिन हमें क्या मतलब हम तो अपनी तरफ से इश्वर को ही दान देकर आये हैं  ना?
शुरू का उदहारण याद कीजिये. आप  वो बेटा  नहीं उस  बेटे के पिता हैं जिसे लाखो रु. पॉकेट मनी मिलता हैं बिना किसी सवालात  के और आप अब तक ये तो  समझ  ही चुके हैं कि   अगर आप वो बेटा   होते तो वो पैसा कैसे खर्च करते.

#himanshu   #Meet"