जकरबर्ग की लीला

इस लड़के जकरबर्ग से हमें हमेशा उम्मीद रही हैं। भरी जवानी में जब हम गाड़ी दौड़तेे, स्कुल से बंकियाते, विमल पिचकाते और लडकियाँ ताड़ते फिरते थे इसने फेसबुक जैसे कारनामें का अविष्कार किया जो आज तक हमारे चंचल अति रैंडम मन को चार इंच की स्क्रीन में घुसाए रखता हैं।
लेकिन हमारी तनिक और परेशानियाँ भी थी। शुरू में जब हम नए नए फेसबुक उपवन में अर्धरात्रि तक चटियाते फिरते थे तो हमेशा डर लगा रहता था कि कोई और भी हमरी हरी हरी उल्लूक आँखों को देख रहा होगा। आप रात को 12.30 फेसबुक खोलिए और आपको 5-7 उल्लूक चटीयाते मिल जायेंगे।
तभी whatsapp हमारे लिए वरदान बन कर आया। जब चाहो जिसे चाहो मेसेज भेजो और दो ही सेकंड में एक टिक दो टिक हो जाएगी। अब वो बेचारा रिप्लाई न दे तो उसे उल्टा टांग दो। लेकिन समस्या यहाँ भी जस की तस थी जब हम रात को डेढ़ बजे तक whatsapp पर smiles अंतरण के पश्चात सुबह 9.30 बजे उठते तो पिताजी हमारा last seen 2.32 pm देख कर हमारी खटिया खड़ी करने आ जाते। और हम गिरियाते 'वो तो बस नींद खुल गयी थी जो देख लिया'.... लेकिन हमारे लाल दगाबाज नैना सब बयां कर देते थे। दूसरी और हम अपना गर्लफ्रेंड के साथ वाला सेल्फायी भी पिताजी के डर से कभी प्रोफाइल पिक्चर ना बना पा और वो हमारा प्रेम अंडररेटेड करती रही।

लेकिन हमारे अवतार पुरुष जकरबर्ग कही न कहीं इस पीड़ा से अवगत थे तभी पुरे 19 मिल्लियन डॉलर देकर whatsapp खरीद लिया और दो दिन में ही प्राइवेसी सेटिंग्स की धज्जिया उड़ाते हुए हमें profile picture और last sin(oh sorry seen) छुपाने की आज़ादी दे दी।
कभी कभी तो दिल करता हैं धारा 377 का उल्लंघन करते हुए इस महात्मा का हाथ चुम ले।

p.s.- कुछ लोग मातम में हैं कि इससे तो वो 'उनका' last sin भी नहीं देख पायेंगे। तो आप रात को 1.30 बजे उनको मेसेज कीजिये और हमारा विश्वास हैं तब भी यह दो ही सेकंड में एक टिक से दो टिक हो जाएगी।