भगत सिंह

भगत सिंह
आज सुबह 9.30 बजे  उठा तो देखा एक हमउम्र नौजवान मेरे पास बैठा हुआ हैं। शक्ल कुछ जानी पहचानी लग रही थी।

"कौन हो भाई?" मैंने आँखे मलते हुए पूछा

"मैं भगत सिंह" उसने कहा।

"कौन भगत सिंह?"

भगत शुक्ला को तो मैं जानता था, मेरे साथ कॉलेज में पड़ता था।

"शहीद भगत सिंह।"

"ओह माय गॉड! ग्रेट भगत सिंह।"

"हाँ।" उसने कहा।

"पर मेरे पास क्या करने आये हो?"

"तुम्हे जगाने आया हूँ मित्र।"

जो सुबह चार-चार अलार्म से नहीं उठता, उसे ये क्या जगाएगा?

"क्या मतलब?" मैंने समझने की कोशिश की।

"तुम बहुत देर तक सोते हो!"

"हाँ वो कल रात को पढाई कर रहा था।"

मैंने साफ झूठ बोल दिया। वास्तव में 2 बजे तक गर्लफ्रेंड से चैटिंग कर रहा था।

"पर भाई मेरे पास क्यों आये हो?" मैंने खीजते हुए पूछा।

"तुम देश के युवा हो, मित्र! क्या तुम्हे देश की स्थिति का अनुमान नहीं हैं? ऐसे में अगर युवा ही आगे नहीं आयेंगे तो देश का क्या होगा?"

"क्या हुआ है देश को, अच्छी खासी तरक्की तो कर रहा हैं।"

"तो क्या तुम्हे गरीबी, भ्रष्टाचार, घौटाले, आतंक सब नहीं दीखते?"

"हां, लेकिन इसमें मैं क्या कर सकता हूँ? सरकार कर तो रही हैं।"

"अगर हम भी ऐसा ही सोच लेते तो तुम सब आज आज़ाद न होते।"

"तुम्हारे वक़्त की बात अलग थी, तुम्हे ये तो मालूम था की तुम्हारे दुश्मन कौन थे? आज कल तो हर आदमी भ्रष्ट हैं?"

"अगर तुम्हें मालूम हो तब क्या उसे रोकोगे?" उसने कटाक्ष भरे स्वर में कहा।

"तो तुम क्या चाहते हो हम सब भी तुम्हारी तरह फांसी पर चढ़ जाये? भाई मेरे को तो एक बात समझ में नहीं आती। जब तुम अस्सेम्ब्ली में बम फ़ेंक चुके थे तो वहा खड़े क्यों रहे ? भाग क्यों नहीं गए?"

"अगर हमें परिस्थितियों से भागना ही होता तो हम वहाँ जाते ही क्यों?"

मुझे 'परिस्थिति' शब्द खुद पर व्यंग लगा। मैं कोई जवाब देता उससे पहले ही मेरा मोबाइल बजा। गर्लफ्रेंड का मेसेज था।

'गुड मोर्निंग जानू।'

मैंने भी वही का वही रिप्लाई में भेज दिया।

'आज मूवी देखने चलोगे।'

'ओके जान।'

"चलो एक बात तो अच्छी हुई। तुम्हारे शहीद दिवस के चक्कर में आज  हमारे कॉलेज में छुट्टी हैं।"

"तो आज क्या करने वाले हो?" उसने बिलकुल मंद स्वर में कहा।

"कुछ नहीं  मूवी देखेंगे और थोडा घूमेंगे फिरेंगे...."

मैने वक़्त देखा तो दस बज रही थी और 11 बजे से शो शुरू होने वाला था।

"ठीक है भाई अब तुम किसी और युवा को जगाओ, मैं लेट हो रहा हूँ। मुझे फ्री करो।" मैंने बिस्तर से उतरते हुए कहा।

वही तो कर के गया था।

उसने कहा और उठ कर चला गया।